राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य : छः साल में करीब दो गुना हुए मगरमच्छ।

राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य : छः साल में करीब दो गुना हुए मगरमच्छ।

सन् 1979 से, राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य में जलीय जानवरों जैसे घड़ियाल (Gavialils gangeticus), लाल मुकुट कछुआ (Batagur Kachuga), और विलुप्तप्राय गंगा सूंस (Gangetic River Dolphin ) का किया जा रहा है संरक्षण!

बाह (आगरा) वनविभाग की वार्षिक गणना के अनुसार, चंबल नदी में मगरमच्छ (Marsh crocodile) का कुनबा बढ़ रहा है। वनविभाग के मुताबिक 2016 में 454, 2017 में 562, 2018 में 613, 2019 में 706, 2020 में 710, 2021 में 886 मगरमच्छ (Indian crocodile) राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य में मिले थे। अतः रिर्पोट के अनुसार, चंबल नदी (Chambal river) में मगरमच्छ (Crocodylus palustris) का कुनबा छः साल में दो गुना हो गया है।

481 नये बच्चे (Hatchlings) मगरमच्छ परिवार में शामिल :

वनविभाग के अनुसार, चंबल नदी की बाह रेंज में, इस साल (अप्रेल-मई) में रिकार्ड हैचिंग हुई। मादा मगरमच्छों ने 12 स्थानों पर नेस्ट (nest) बनाये, जिनमें से 481 मगरमच्छ शिशओं का जन्म हुआ। पिछले वर्ष केवल 4 नेस्ट (nests) ही मिले थे, जिनसे 163 शिशुओं का जन्म हुआ था। नेस्टों (nests) में, अंड़ों को बाहरी और पानी के वन्यजीवों से बचाने के लिये ,विभाग ने लोहे की जाली लगा दी थी और जीपीएस से लोकेशन को बराबर ट्रेस किया गया।

राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य (National Chambal Sanctuary):

राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य की स्थापना सन् 1979 में चंबल नदी पर मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश के त्रिबिन्दु क्षेत्र में हुई, जो 5400 वर्ग किमी (2100 वर्ग मील) में फैला हुआ है। चंबल नदी में, इस अभयारण्य की कुल लंबाई 425 किलोमीटर है। इसे राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य (National Chambal Gharial Wildlife Sanctuary) भी कहा जाता है। यह अभयारण्य भारत के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 (Wildlife Protection Act of 1972) के तहत संरक्षित क्षेत्र है। जिसकी स्थापना का मुख्य उद्देष्य विलुप्तप्राय घड़ियाल (Gavialils gangeticus), लाल मुकुट कछुआ (Red crown tortoise), जिसका वैज्ञानिक नाम Batagur Kachuga, गंगा सूंस (Gangetic River Dolphin ) की रक्षा करना है।

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