Ranthambore : 13 मार्च 2022।

शनिवार, 5 मार्च 2022, राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में स्थित रणथंभौर नेशनल पार्क में सुबह की सफारी के दौरान एक चिर-परचित बाघिन नूर यानि टी-39 अपने नन्हें नवजात शावक के साथ वन में विचरण करती नजर आयी। प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार, यह अब तक की सबसे दुर्लभ एंव मनोहारी बाघिन दृश्य था, जब बाघिन नूर अचानक अपने नन्हें शावक को मुँह से पकड़ हुए वन में विचरण करती हुई दिखाई पड़ी।

यह संभव है कि शावक की उम्र एक महीने से भी कम की हो। यह बाघिन का पांचवा प्रसव है। वन्य प्रमियों के लिए यह एक शानदार रणथंभौर सफारी थी।

रणथंभौर नेचर गाइड़ एसोसिएशन के अध्यक्ष रफीक ने कहा कि, “ रणथंभौर से ऐतिहासिक खबर आयी है, बाघिन, नूर को जोन 1 में नन्हें शावक के साथ देखा गया। वह एक परिपक्व बाघिन है, जिसकी उम्र 14 से 15 वर्ष के बीच है। ऐसी उम्र की बाघिन से शावक की उम्मीद कम ही की जाती है।”

बाघिन, नूर (Noor) उर्फ T-39

चौदह वर्ष की अनुमानित आयु के साथ, नूर उर्फ T-39, रणथंभौर टाइगर रिजर्व की एक प्रसिद्ध और प्रभावी बाघिन है, जिसे जोन एक और छह में सबसे अधिक शक्तिशाली बाघिन के रुप जाना जाता है। यह बाघिन, ओल्ड सुल्तानपुर बाघिन की पहली पुत्री है। बाघिन ओल्ड सुल्तानपुर (टी -13) ने अपने पहले प्रसव में दो शावकों, (एक नर और एक मादा ) को जन्म दिया, जो पहली बार ऑगस्त, 2008 में दिखाई दिये। बाघिन नूर ( T-39) उनमें से एक है, जबकि T-38 उसका भाई (नर बाघ) है।

महान मां के रूप में बाघिन नूर (Noor) , T-39

रणथंभौर में बाघिन नूर को एक महान माँ के रुप जाना जाता है, जिसने अपने पहले चार प्रसव में आठ शावकों जन्म दिया। उसने अपना पहला प्रसव 2012 में दिया, जिससे एक नर शावक, सुल्तान (T-72) का जन्म हुआ। बाघिन नूर ने दूसरा प्रसव, मई 2014 में दिया, जिस से दो नर शावकों जन्म हुआ। मार्च 2016 में कैमरा ट्रैप के जरिये उसके तीसरे प्रसव का पता चला। नवंबर 2016 में, बाघिन ने अपना चौथा प्रसव दिया, जिस से तीन बाघिन का जन्म हुआ, जिस में से दो उल्लेखनीय बाघिनें नूरी (टी-105), और सुल्ताना (टी-107) रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान को मिली , जबकि तीसरी बाघिन, T-106, को 18 दिसंबर 2018 को मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित कर दिया गया था।

साधारणतयः एक चौदह वर्षीय बाघिन से, शावक की उम्मीद कम ही की जाती है। लेकिन इस उम्र में, बाघिन नूर से रणथंभौर को पांचवां प्रसव मिलना, दर्शाता है कि वह रणथंभौर टाइगर रिजर्व की एक महान माँ हैं, जिसकी उपलब्धि पर रणथंभौर हमेशा र्गव करेगा।निश्चित रुप, यह एक शानदार खबर है और एक शानदार अनुभूति है।

रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान

1955 में," सवाई माधोपुर वन्यजीव अभयारण्य" की स्थापना की गई और 1973 में इसे,"प्रोजेक्ट टाइगर" की योजना में शामिल किया गया। आज, रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान 70 से अधिक बाघों का घर है। 1980 में, इसे राष्ट्रीय उद्यान के रूप में नामित किया गया था।